📖 भारत के संविधान का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
📌 प्रस्तावना
भारत का संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, देश का सर्वोच्च क़ानून (Supreme Law) है। यह शासन व्यवस्था की रूपरेखा, मौलिक अधिकारों, राज्य के नीति निदेशक तत्वों तथा संघ और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन को निर्धारित करता है। संविधान की आत्मा को समझने के लिए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करना आवश्यक है—जो ब्रिटिश शासन की विरासत, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन तथा संवैधानिक विकास की प्रक्रिया से निर्मित हुई।
1. भारतीय संविधान के स्रोत
भारत का संविधान शून्य से उत्पन्न नहीं हुआ, बल्कि यह कई ऐतिहासिक प्रक्रियाओं का परिणाम है:
-
ब्रिटिश उपनिवेशी कानून एवं चार्टर:
- नियामक अधिनियम, 1773 – ईस्ट इंडिया कंपनी पर पहली बार ब्रिटिश संसद का नियंत्रण।
- चार्टर अधिनियम (1833, 1853) – केंद्रीयकरण और विधायिका की शुरुआत।
- भारत शासन अधिनियम (1858, 1909, 1919, 1935) – स्वशासन की ओर क्रमिक प्रगति।
-
भारतीय सुधार की माँगें:
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मॉर्ले-मिन्टो सुधार) – पृथक निर्वाचक मंडल की शुरुआत।
- भारत शासन अधिनियम, 1919 (मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) – प्रांतीय स्तर पर द्वैध शासन।
- भारत शासन अधिनियम, 1935 – प्रांतीय स्वायत्तता, संघीय योजना (यद्यपि लागू नहीं), और वर्तमान संविधान के कई प्रावधानों का आधार।
-
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन:
- दादाभाई नौरोजी, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, भीमराव अम्बेडकर जैसे नेताओं ने स्वराज और संवैधानिक सुधारों की माँग उठाई।
- नेहरू रिपोर्ट, 1928 – भारतीयों द्वारा तैयार पहला संविधान-प्रारूप।
- कराची प्रस्ताव, 1931 – मौलिक अधिकारों को शासन के लिए अनिवार्य घोषित किया।
2. क्रिप्स मिशन और कैबिनेट मिशन
- क्रिप्स मिशन, 1942: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद डोमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव, जिसे भारतीय नेताओं ने अस्वीकार किया।
- कैबिनेट मिशन, 1946: भारत के लिए संविधान सभा गठित करने का प्रस्ताव दिया।
3. भारत की संविधान सभा
- गठन: कैबिनेट मिशन योजना (1946) के अंतर्गत।
- कुल सदस्य: 389 (विभाजन के बाद 299)।
- प्रथम बैठक: 9 दिसम्बर 1946।
- अध्यक्ष: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष: डॉ. भीमराव अम्बेडकर।
- अवधि: 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में 11 सत्र आयोजित कर अंतिम मसौदा तैयार किया गया।
- संविधान को 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत किया गया।
4. विश्व संविधानों से प्रभाव
भारतीय संविधान ने कई देशों से विशेषताएँ ग्रहण कीं:
- यूके → संसदीय शासन प्रणाली, विधि का शासन (Rule of Law)।
- यूएसए → मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, संघीय ढाँचा।
- आयरलैंड → राज्य के नीति निदेशक तत्व।
- कनाडा → अर्ध-संघीय प्रणाली।
- ऑस्ट्रेलिया → समवर्ती सूची, संसद का संयुक्त सत्र।
- फ्रांस → स्वतंत्रता, समानता, बंधुता।
- सोवियत संघ (USSR) → मौलिक कर्तव्य, पंचवर्षीय योजनाएँ।
5. संविधान का अंगीकरण
- अंगीकार तिथि: 26 नवम्बर 1949।
- प्रवर्तन तिथि: 26 जनवरी 1950 (1930 के पूर्ण स्वराज दिवस की स्मृति में चुनी गई)।
- मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में 470 से अधिक अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ हो चुकी हैं।
6. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का महत्व
- भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं के क्रमिक विकास को दर्शाता है।
- स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों और जन-आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
- बताता है कि संविधान कठोर और लचीले दोनों रूपों का मिश्रण क्यों है।
- न्यायालय को संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या में ऐतिहासिक संदर्भ उपलब्ध कराता है।
📌 प्रमुख न्यायिक निर्णय जिनमें ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) – मौलिक संरचना सिद्धांत प्रतिपादित करते समय संविधान सभा की बहसों का हवाला।
- इन्दिरा नेहरू गाँधी बनाम राज नारायण (1975) – लोकतंत्र की रक्षा हेतु ऐतिहासिक बहसों का उपयोग।
- एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994) – संघवाद और लोकतंत्र की व्याख्या संवैधानिक इतिहास के आलोक में।
✍️ निष्कर्ष
भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्रमिक विकास, गहन विचार-विमर्श और दूरदर्शी नेतृत्व की कहानी है। इसमें न केवल ब्रिटिश संवैधानिक कानूनों का प्रभाव झलकता है, बल्कि भारतीय जनता की न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता की आकांक्षाएँ भी परिलक्षित होती हैं। विधि विद्यार्थियों और परीक्षा अभ्यर्थियों के लिए यह पृष्ठभूमि समझना आवश्यक है, ताकि वे संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक व्याख्याओं को गहराई से समझ सकें।
👉 अगला विषय: भारत के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ (Salient Features of the Constitution of India)

.jpeg)