प्रशासनिक विधि की परिभाषा

0

 

Administrative Law definition
प्रशासनिक विधि को विभिन्न लेखकों के द्वारा विभिन्न तरीके से परिभाषित किया गया है परंतु उन परिभाषाओं में से कोई भी परिभाषा ऐसी नहीं है जो प्रशासनिक विधि के समस्त पहलुओं को अपने भीतर समावेशित कर सके। प्रत्येक परिभाषा की कुछ ना कुछ कमी अवश्य है। ये परिभाषाएं निम्न प्रकार से रखी जा सकती हैं -

सर आईवर जेनिग्स  ( Sir Ivor Jennings )
"Administrative law is the law relating to administration which determines organisation the power and duties of Administrative authority."
"प्रशासनिक विधि प्रशासन से संबंधित विधि है यह प्रशासनिक अधिकारियों के संगठन शक्तियों एवं कर्तव्य को सुनिश्चित करता है।"
             जेनिंग्स की उपरोक्त परिभाषा की दो प्रमुख कमियां है -
i - यहां परिभाषा प्रशासनिक विधि एवं संवैधानिक विधि के बीच अंतर नहीं करती है।
ii - जेनिंग्स में अपनी परिभाषा के अंतर्गत प्रशासनिक विधि के अंतर्गत आने वाले प्रशासन के नियन्तणात्मक पहलू को छोड़ दिया है ।
ग्रिफिथ एवं स्ट्रीट ( Griffith and Street )
"Administrative law means and includes-
a- the types of powers exercised by administrative authorities,
b- the limits of those powers,
c- the control over those powers."
ग्रिफिथ स्ट्रीट के अनुसार प्रशासनिक विधि का तात्पर्य है एवं इसमें शामिल है-
a- प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले व्यक्तियों के प्रकार,
b- इन शक्तियों की सीमाएं,
c- इन शक्तियों के ऊपर नियंत्रण
यदि ग्रिफिथ एवं स्ट्रीट की परिभाषा की तुलना आइवर जेनिंग्स की परिभाषा से की जाए तो स्पष्ट होगा कि जहां एक तरफ ग्रिफिथ एवं स्ट्रीट ने प्रशासनिक विधि के नियन्तणात्मक पहलू को समाहित किया है वहीं दूसरी तरफ उन्होंने प्रशासनिक विधि के अंतर्गत प्रशासन की संरचनात्मक पहलू को छोड़ दिया है l
अतः ग्रिफिथ एवं स्ट्रीट की परिभाषा भी अपने आप में पूर्ण नहीं है।
प्रो० वेड (Prof. Wade)
प्रोफेसर वेड प्रशासनिक विधि को इस प्रकार से परिभाषित करते हैं -
"The easiest but lest satisfactory definition of Administrative law can be that it is a law which deals with administrative branch of the state."
"सबसे आसान परंतु सबसे कम संतोष प्रद प्रशासनिक विधि की परिभाषा या हो सकती है कि यह वह विधि है जो राज्य की प्रशासनिक शाखा से संबंधित है "
प्रोफेसर वेड स्वयं यह मानते हैं उनकी की परिभाषा सबसे कम संतोषप्रद है वे पहले यह मानकर चलते है कि राज्य के तीनों शाखाओं ( कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका ) को पृथक- पृथक रखा जा सकता है। जबकि अपने कठोरतम रूप में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत किसी भी देश में आधुनिक युग में लागू नहीं होता है।
स्वार्टज  (Schwartz)
" Administrative law is law controlling the administration not the law produced by administration."
प्रशासनिक विधि प्रशासन को नियंत्रित करने वाली विधि है ना कि प्रशासन द्वारा उत्पन्न विधि ।"
स्‍वार्टज की परिभाषा की भी कमिया है वह है कि इन्होंने प्रशासनिक विधि के अन्तर्गत अध्ययन किये जाने वाले प्रशासन के संरचनात्मक पहलू को छोड दिया हैं।
के सी डेविस की परिभाषा
"Administrative law is the law concerning the powers and procedures of administrative agencies including specially the law governing the judicial review of the administrative actions."
"प्रशासनिक विधि, प्रशासनिक अभिकरणों की शक्तियों एवं प्रक्रियायो से सम्बन्ध रखने वाली विधि है जिसमें विशेष रूप से प्रशासनिक कार्यवाहियों  के न्यायिक पुनर्विलोकन को शासित करने वाली विधि सम्मिलित है।"
डेविस की उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि सभी प्रशासनिक विधि के नियन्त्रणात्मक पहलू पर विशेष बल देते हैं और उसके संगठनात्मक पहलू को नजरअंदाज किए हैं।
डा० ए० डी० मारकस की परिभाषा  (Dr. A. D. Markas) -
" Administrative law may be defined to consist of all legal rules relating to administrative organisation, procedure and action whose purpose is the fulfillment of objects of public law and all All legal controls exercise over administrative authorities by courts, legislature or higher administrative authorities."
" प्रशासनिक विधि को निम्नलिखित सम्मिलित करने वाली विधि कहा जा सकता है-
    प्रशासनिक संगठन प्रक्रिया तथा कृत्य से संबंधित समस्त विधिक नियम जिनका उद्देश्य लोक विधि के उद्देश्य को पूरा करना होता है तथा प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर न्यायालयों विधायिका तथा उच्च प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा प्रयुक्त समस्त विधिक नियंत्रण "
  हालांकि डाक्टर मार्कोस की परिभाषा अपने आप में संपूर्ण परिभाषा कही जा सकती है क्योंकि इसमें प्रशासनिक विधि के संगठनात्मक एवं नियंत्रनात्मक  दोनों पहलुओं को सम्मिलित किया गया है परंतु यह परिभाषा इतनी विस्तृत है कि यह किसी परिभाषा के गुणों को खो देती है एवं प्रशासकीय विधि की परिभाषा ना होकर का उसका स्पष्टीकरण प्रतीत होता है।
प्रशासनिक विधि के विकास  के कारण
प्रशासनिक विधि के विकास के लिए मूल कारक राज्य की अवधारणा में परिवर्तन ही रहा है पहले राज्य की अवधारणा राज्य की अहस्तक्षेप की थी की थी जिसमें राज्य के कार्य एवं आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने एवं राज्य को बाय आक्रमण से बचाए रखने तक ही सीमित थे परंतु आगे चलकर राज्य की अवधारणा कल्याणकारी राज्य की हुई जिसमें राज्य व्यक्तियों के कल्याण के बारे में भी सोचने लगा जिस उद्देश्य के लिए राज्य को विभिन्न प्रशासनिक अधिकरण में अधिकारियों की नियुक्ति करनी पड़ी जिसका स्वभाविक परिणाम हुआ प्रशासन एवं व्यक्तियों के हितों के बीच टकराव जिस टकराव को दूर करने के लिए जिस विधि का विकास हुआ प्रशासनिक विधि।
उपरोक्त सामान्य कारक के अतिरिक्त निम्न कुछ विशिष्ट कारक भी थे जो प्रशासकीय विधि के विकास के लिए उत्तरदायी रहे हैं -
People's expectation from law to solve their problems rather than to define their rights.
मनुष्य की विधि से अपेक्षा थी कि विधि उनके अधिकारों को परिभाषित करने की बजाय उनकी समस्याओं का निदान करें। 19वी शताब्दी के प्रारंभ तक मनुष्य मात्र इतने से संतुष्ट हो जाया करता था कि कानून उनके अधिकारों को परिभाषित कर दिया परंतु धीरे-धीरे मनुष्यों की विधि से अपेक्षा में बदलाव आया मनुष्य विधि से अपेक्षा करने लगे की विधि उनके अधिकारों को परिभाषित करने के बजाय उनके प्रति दिन की व्यवहारिक समस्याओं का निराकरण करें । लोगों की इस बदली हुई अपेक्षा को पूरा करने के लिए राज्य को तमाम सारे प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त करना पड़ा। साथ ही साथ तमाम सारे प्रशासनिक अभीकरणो की स्थापना भी करनी पड़ी जिसका अभिप्राय हुआ प्रशासनिक विधि का विकास।
Change in the Attitude of the people towards the functions of the state.
17 -18 वी यहां तक की 19वीं शताब्दी तक मनुष्य मात्र इतने से संतुष्ट हो जाया करता था कि उसके शरीर एवं संपत्ति के विरुद्ध हुए हानि के लिए राज्य द्वारा क्षतिपूर्ति प्रदान कर दिया जाता था परंतु आज के युग का व्यक्ति मात्र इतने से संतुष्ट नहीं होता है लोग यह नहीं चाहते कि किसी क्षति की दशा में क्षतिपूर्ति दी जाए बल्कि उनकी अपेक्षा यह है कि राज्य क्षति उत्पन्न करने वाले कारकों को ही समाप्त कर दे इनको को समाप्त करने के लिए राज्य को तमाम सारी प्रशासनिक पदाधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी जिसका अभिप्राय होगा प्रशासनिक विधि का विकास।
Legislation on ever widening fronts.
आज के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अंतर्गत राज्य को तमाम सारी कल्याणकारी कानून बनाने होते हैं हमारी विधायिका निम्नलिखित कारणों से विधायक की उस गुणवत्ता को नहीं प्रदान कर पाती जिसके प्रदान किए जाने की इससे अपेक्षा की जाती है। इसलिए विधायिका स्वयं कानून बनाने की शक्ति को कार्यपालिका को प्रत्यायोजित कर देती है जिसका तात्पर्य है प्रशासनिक विधि का विकास प्रत्यायोजित विधान की इस प्रणाली के विकसित होने के लिए निम्न कारण है -
A - समय की कमी
विधायिका के पास समय की कमी एवं कार्य की अधिकता होती है जिसके कारण विधायिका कानून के सिर्फ बाह्य ढांचे को ही पारित करती है एवं उसके अंतर्गत विस्तृत नियम के बनाए जाने की शक्ति को प्रशासन को प्र त्यायोजित कर देती है जिसका तात्पर्य होगा प्रशासनिक विधि का विकास।
B. तकनीकी प्रकृति ( Technical Nature
आज के कल्याणकारी युग में विधायकों को तमाम सारे कानून पास करने होते हैं जो अत्यंत तकनीकी प्रकृति के होते हैं जिसको समझ सकने में विधायिका के सदस्य तकनीकी ज्ञान नहीं रखते हैं इस कारण विधायिका कानून बनाने की शक्ति को ऐसे प्रशासनिक निकायों को सौंप देते हैं जिनके सदस्य तकनीकी ज्ञान रखते हैं प्रत्यायोजित विधान की प्रणाली भी इस प्रकार प्रशासकीय विधि के विकास में सहायक रही है।
C. भविष्य की घटनाओं के लिए। For Future Events.
आज के जटिल समाज के अंतर्गत तमाम सारे ऐसी समस्याएं उत्पन्न होती है जिनके लिए तत्काल कानून बनाया जा सकता संभव नहीं होता है इसलिए विधायिका कानून की शक्ति कार्यपालिका को सौंप देती है कि जब जैसी आवश्यकता हो कार्यपालिका प्रायोजित विधान की प्रणाली अपना कर नियम इत्यादि बना सके इसका तात्पर्य होगा अशासकीय विधि का विकास।
D. परिवर्तनीय विषयों के लिए
तमाम सारे ऐसे विषय होते हैं जिनके संबंध में अग्रिम रूप से कानून बनाया ही नहीं जा सकता उदाहरण के लिए यदि काफी के निर्यात के संदर्भ में कानून बनाया जाता है तो विधायिका कठिनाई महसूस करेगी क्योंकि काफी का मूल्य मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करेगा इसलिए जो तकनीकी अपनाई गई वह था काफी बोर्ड का गठन जिसको नियम बनाने की शक्ति प्रत्यायोजित गई।
E. अचानक उत्पन्न मामलों के लिए
अचानक उत्पन्न हो रहे मामलो के लिए भी विधायिका अग्रिम रूप से कानून नही बना सकती इसके लिए कार्यपालिका को विधायी शक्ति  प्रत्यायोजित कर दी  जाती है।
विषय

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

buttons=(Accept !) days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !

Don't copy

Contact form

To Top